हिन्दू विद्वानों की पुस्तकों से कुर्आन और इस्लाम’ पुस्तक का विमोचन

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लखनऊ, आज वन वाइस ट्रस्ट द्वारा विक्टोरिया स्ट्रीट चौक स्थित ’ारियतकदा सरकारे मुफ्ती आज़़म में सैय्यद क़ासिम रज़ा द्वारा लिखित ‘हिन्दू विद्वानों की पुस्तकों से कुर्आन और इस्लाम’ का विमोचन हुआ।
किताब का विमोचन डॉ0 स्वामी सारंग के करकमलो द्वारा हुआ, इस अवसर पर कई गणमान्य लोग, मो0 असद, डा0 मूसी रज़ा, सरवर रिज़वी, खुरर्’ाीद अनवर, अफरोज़ रिज़वी, डा0 सरवत तक़ी, सलीम रज़ा, मूसा नक़वी व एस.एन.लाल उपस्थित थे ।
इस अवसर पर श्री स्वामी सारंग ने कहा कि शब्द की उत्पत्ति जिस मूल धातु से हुई, उसका अर्थ होता है शान्ति। यानि इस्लाम शान्ति और भाई-चारे का धर्म है अपनी इस किताब में अमन-’ाान्ति भाईचारा की बातों को बताने के लिए कुर्आन की आयतों-हदीसो का बहुत खुबसूरती से सहारा लिया है, जोकि पढ़ने और समझने योग्य है, इस किताब के संदेश को दूसरों तक पहुॅंचना चाहिए। मै जनाब क़ासिम रज़ा साहब को इतने महान काम के लिए शुभकामनायें देता हूॅ और ई’वर से प्रार्थना करता हूॅं कि इनकी मेहनत समाज के लिए करामद साबित है।
किताब के लेखक क़ासिम रज़ा ने बताया कि मुझे दुश में फैल रहे नफरती विचारधारा को देखकर बहुत दुख होता है, वह भी धर्म के नाम पर, उसी नफरत को ख़त्म में यह छोटी सी कोशिश की है जिसमें हमने हिन्दू विद्वानों की किताबों का सहारा लिया है, इसमेंे स्वामी लक्ष्मी ’ांकराचार्य जी की किताब ‘‘इस्लाम आतंक या आदर्’ा’’, श्री राजेन्द्र नारायण लाल की किताब ‘‘इस्लाम एक एवम सिद्ध ई’वरीय जीवन व्यवस्था’’, आचार्य विनोबा भावे की किताब ‘‘कुर्आन सार’’, श्री कृष्ण दत्त भट्ट की किताब ‘‘इस्लाम धर्म क्या कहलाता है’’! इन किताबों के मूल सार को लेकर हमने अपने शब्दों में समाज के सामने मोहब्बत का संदेश दिया है।
वही इतिहासकार मौलाना आली ने भी ऐसे काम समाज में रहने वाले लेखकों को करते रहना चाहिए, ताकि समाज नफरत की लपटों मंे आने से बचा रहे और देश में भाई-चारा बाक़ी रहे, जोकि हमारे हिन्दुस्तान की पहचान है… मोहब्बत और भाई-चारा।
कार्यक्रम के अन्त में ट्रस्ट के अध्यक्ष एस.एन.लाल ने सभी का धन्यवाद किया।

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