Rajesh Sharma
(आबिद नक़वी, पॉलिटिकल एडिटर)
मुंबई। जैसे- जैसे महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव की तारीख़ करीब आ रही है, वैसे-वैसे विपक्ष के नेताओं के तेवर में आक्रामकता देखने को मिलने लगी है।
कांग्रेस के महासचिव और मुंबई के पूर्व उपमहापौर राजेश शर्मा ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के आयुक्त को लिखे पत्र में गंभीर आरोप लगाया है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार के दबाव में आउटडोर विज्ञापन होर्डिंग्स का राजनीतिक प्रचार के लिए जबरन उपयोग किया जा रहा है, जिससे शहर का विज्ञापन उद्योग गहरे संकट में पड़ गया है।
बीएमसी कमिश्नर को लिखे पत्र में राजेश शर्मा ने आउटडोर विज्ञापन उद्योग पर पड़ रहे भारी दबाव और अनुचित सरकारी हस्तक्षेप की कड़ी आलोचना की है। घाटकोपर में हाल ही में हुई होर्डिंग दुर्घटना के बाद, बीएमसी द्वारा लागू किए गए कठोर नियमों ने विज्ञापन उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से त्योहारों के मौसम में, जब विज्ञापन उद्योग की आमदनी अधिकतम होती है, तब इन नए नियमों के कारण व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
शर्मा ने अपने पत्र में इस बात पर रोष व्यक्त किया कि बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने होर्डिंग ओनर्स को आदेश दिया है कि वे अपने होर्डिंग्स पर 15 दिनों तक या चुनाव आयोग की आचार संहिता लागू होने तक राज्य सरकार की योजनाओं का मुफ्त प्रचार करें। इसके साथ ही, होर्डिंग्स के प्रचार की तस्वीरें भी जमा करने का आदेश दिया गया है।
कांग्रेस नेता का कहना है कि यह आदेश सरकारी जागरूकता के नाम पर जारी किया गया है, लेकिन इसका असली उद्देश्य आगामी महाराष्ट्र चुनावों के लिए सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है। उन्होंने इसे “राजनीतिक लाभ के लिए सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग” करार दिया। उनका मानना है कि त्योहारों के दौरान, जब सभी विज्ञापन स्थल पहले ही बुक हो चुके हैं, इस तरह के जबरन आदेश से मीडिया मालिकों को बड़ा वित्तीय नुकसान हो रहा है।
राजेश शर्मा ने अपने पत्र में यह भी कहा कि राज्य सरकार पहले ही ₹1000 करोड़ से अधिक की राशि विभिन्न प्रचार अभियानों पर खर्च कर चुकी है। अब मीडिया मालिकों को बिना किसी मुआवजे या वित्तीय सहायता के सरकारी योजनाओं का मुफ्त प्रचार करने के लिए मजबूर करना पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने इस कदम को “व्यावसायिक उत्पीड़न” कहा और कहा कि यह प्रशासनिक शक्तियों का खुला दुरुपयोग है।
मुंबई के पूर्व उप महापौर का कहना है कि इन जबरन आदेशों के कारण मीडिया मालिकों की आजीविका पर सीधा हमला हो रहा है, जिससे उनके व्यवसाय को गंभीर वित्तीय नुकसान हो रहा है। शर्मा ने चेतावनी दी है कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया गया, तो इससे पूरे विज्ञापन उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
राजेश शर्मा ने बीएमसी कमिश्नर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने इस जबरन और अन्यायपूर्ण फैसले को रद्द करने और विज्ञापन मीडिया मालिकों को राहत प्रदान करने की अपील की है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते इस समस्या को हल नहीं करता, तो यह निर्णय शहर के विज्ञापन उद्योग के लिए घातक साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि बीएमसी इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाती है। उद्योग जगत में इस आदेश के खिलाफ गहरी नाराजगी है, और सभी की नजरें नगर निगम के अगले कदम पर टिकी हैं।