(आबिद नक़वी, प्रेस9 न्यूज़, मुंबई)
महाराष्ट्र चुनाव: राज्य के 11.56 फ़ीसदी मुसलमान वोटर किसका साथ देंगे?
महाराष्ट्र में मुस्लिम आबादी 1.30 करोड़ यानी 11.56 फीसदी है। लेकिन, आबादी की तुलना में मुस्लिम जन प्रतिनिधि नहीं हैं।
ये मयूरेश कोन्नूर की बीबीसी हिंदी पर आई एक बेहतरीन रिपोर्ट है। हमें मयूरेश को धन्यवाद देना चाहिए जो उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले एक शानदार रिपोर्ट लिखी है।
ये रिपोर्ट तथाकथित वोट जिहाद का नारा बुलंद करनेवाली भाजपा के मुंह पर एक करारा तमाचा है। जो पार्टी ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ का नारा बुलंद करती है, वो ना तो लोकसभा और ना ही विधानसभा में एक मुस्लिम उम्मीदवार को खड़ा करना तक पसंद नहीं करती। और फिर उनका वोट भी हासिल करना चाहती है, ये मेरी समझ में नहीं आता कि आख़िर ऐसी हालत में खुशी से कौन वोट देगा। मान लिया जाए कि महाराष्ट्र में बीजेपी अगर एक भी ब्राह्मण समाज को उम्मीदवारी नहीं देती तो आपको कौन ब्राह्मण मतदाता वोट देगा। आप उनसे ये कह सकते हैं कि सरकार की सारी योजनाएं आपके लिए हैं, आप उसका फ़ायदा उठा रहे हैं तो ऐसे में उन्हें वोट बीजेपी को देना चाहिए। लेकिन कौन ब्राह्मण ऐसा होगा जो आपको वोट देना पसंद करेगा।
महाराष्ट्र की 288 सीटों में अगर ईमानदारी से देखा जाए तो 32-33 मुस्लिम समाज के विधायक चुनकर आने चाहिए। लेकिन चुनकर आते हैं 8-9, आख़िर इस नाइंसाफ़ी का ज़िम्मेदार कौन है। आख़िर मुस्लिम समाज का हक़ किसने दबाकर रखा है।
चुनाव को भाजपा एक धर्मयुद्ध की तरह लेकर आगे बढ़ रही है। ‘बटेंगे तो कटेंगे’ या फिर ‘एक हैं तो सेफ़ हैं’ ऐसा नारा गढ़नेवालों को ये नहीं दिखाई दे रहा है कि आख़िर सबसे ज्यादा नुकसान किस समाज को हो रहा है। आखिर इस समाज का हक़ कौन लोग मार रहे हैं।
आप लोकतंत्र का नाम ले रहे हैं, दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र की बात करते हैं और देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समाज का हिस्सा दबाए बैठे हैं। सिर्फ़ दबाए ही नहीं बैठे हैं, बल्कि प्रदेश में और देश में इस तरह का माहौल बनाते हैं कि दूसरी राजनीतिक पार्टियां भी इस समाज को टिकट देने से घबराती हैं।
भाजपा के बड़े नेताओं से मैं कहना चाहता हूं कि अगर आप देश में एक सच्चा लोकतंत्र स्थापित करना चाहते हैं तो फिर आपको हर समाज को उनके अनुपात में उनकी हिस्सेदारी देनी चाहिए। अगर नहीं दे रहे हैं तो इसमें आपको ईमानदारी से अपनी मजबूरी जनता को बतानी चाहिए। वरना ये बताईए कि हमारे हिस्से पर अवैध रुप से घुसपैठ करने वाले आख़िर 22-23 विधायक कौन हैं। आख़िर ये कौन सा जिहाद है, जिससे मुस्लिम समाज के हक़ हर क्षेत्र में मारे जा रहे हैं।
देश का मुस्लिम युवा वर्ग इस संघर्षमय हालात में भी देश की मुख्यधारा से जुड़कर देश को प्रगति के मार्ग पर ले जाना चाहता है, लेकिन आपका नेतृत्व उन्हें अलग-थलग करके समाज को क्या संदेश देना चाहता है, ये पूरी तरह से समझ से परे है।
आईए, हम पूरे देशवासियों को बताएं कि आप अपनी आंखें खोलिए और देखिए कि इस देश के अल्पसंख्यक समाज के हक़ कौन और कैसे दबाए हुए हैं।
आईए, हम बताएं कि हमारे युवा हर क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं, दरअसल ये मुस्लिम समाज के नुक़सान के साथ-साथ हमारे महान देश की प्रगति में एक बड़ी बाधा बन रहा है। देश के सभी वर्ग का विकास ही, देश की असली तरक़्क़ी है।
देश में वोट जिहाद हक़ीक़त में भाजपा कर रही है, जो देश के शोषित वर्ग के साथ-साथ मुस्लिम समाज की भागीदारी को सिरे से नकार रही है।