(आबिद नक़वी, पॉलिटिकल एडिटर)
मुंबई: चुनाव के बाद महाविकास अघाड़ी में अब आपसी कहा-सुनी शुरू हो गई है। शिवसेना यूबीटी के नेता अंबादास दावने ने महाविकास अघाड़ी हार की पूरी ज़िम्मेदारी कांग्रेस पर डालते हुए कहा कि चुनाव के दौरान कांग्रेस के सभी नेता प्रचार से ज्यादा मंत्री बनने की तैयारी कर रहे थे। दानवे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने किसी की नहीं सुनी। वह मंत्री बनने के सपने देखते रहे और सूट-बूट सिलाने में व्यस्त रहे।
दानवे ने चुनाव से पहले सीएम का नाम तय नहीं करने के लिए भी कांग्रेस को खिंचाई की। उन्होंने दावा किया कि अगर अघाड़ी उद्धव ठाकरे को सीएम घोषित कर देती तो नतीजे काफ़ी बेहतर होते। दानवे ने आगे जोर देकर कहा कि अगर उद्धव ठाकरे का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया जाता, तो नतीजे कुछ और होते। उन्होंने कहा कि उद्धव जी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया जाना चाहिए था। अगर उन्हें शुरू से ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाता, तो नतीजों में एक बड़ा बदलाव आ सकता था।
संभाजीनगर सीट का भी जिक्र किया
उन्होंने संभाजीनगर सीट का भी जिक्र किया, जहां शिवसेना पिछले पांच सालों से काम कर रही थी, लेकिन यह सीट कांग्रेस को दे दी गई। दानवे के अनुसार, कांग्रेस को यह सीट जीतनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों के बाद, कांग्रेस के सदस्य पहले से ही सूट-टाई पहनने की तैयारी कर रहे थे, यह सोचकर कि उन्हें कौन सा विभाग मिलेगा। वे चुनाव परिणामों पर चर्चा भी नहीं कर रहे थे।
अब करेंगे ये काम
उन्होंने कहा कि अब वे महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करेंगे। शिवसेना के सदस्यों ने मांग की है कि हमें सभी 288 सीटों पर पार्टी को मजबूत करना चाहिए और इसकी तैयारी तुरंत शुरू होनी चाहिए। सभी 288 सीटों पर संगठन को मजबूत किया जाएगा। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि शिवसेना ने हिंदुत्व पर कभी समझौता नहीं किया है और न ही कभी करेगी। शिवसेना को किसी से हिंदुत्व सीखने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हिंदुत्व का मतलब दूसरे दलों का अनादर करना नहीं है।
दूसरी तरफ़ कांग्रेस के कई नेताओं ने शिवसेना यूबीटी पर भी कांग्रेस की मज़बूत सीटें हथियाने का आरोप लगाया है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भाई जगताप ने चुनाव नतीजों के बाद मुंबई की तीन विधानसभाई सीटों, जिसमें भायखला, वर्सोवा और बांद्रा पूर्व का नाम लेते हुए कहा कि ये सभी सीटें कांग्रेस के जनाधार वाली थीं, लेकिन शिवसेना यूबीटी ने इसे जबर्दस्ती हासिल कर लिया।
इन दोनों पार्टियों के नेताओं के बयान जिस तरह से मीडिया में पढ़ने और सुनने को मिल रहे हैं, उससे पूरी तरह से ये बात साफ़ होती जा रही है कि इस वक़्त महाविकास अघाड़ी की सभी पार्टियों को एक साथ लेकर चलना मेंढ़क तौलने के बराबर है।