NCP ( SCP) के प्रत्याशी को MVA का प्रत्याशी मानने कांग्रेसियों ने किया इंकार
दानिश आज़मी
भिवंडी लोकसभा सीट को लेकर मची ऊहापोह की स्थिति पर आखिरकार विपक्षी गठजोड़ MVA के सहयोगी NCP शरद चंद्र पवार ने 4 अप्रेल की शाम तमाम अफवाहों पर विराम लगाते हुए सुरेश म्हात्रे उर्फ बाल्या मामा प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा कर दिया. इस सीट से प्रत्याशी के एलान के बाद से ही कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व बौखला गया है. सोशल मीडिया के प्लेट फार्म Whatsapp पर अनर्गल बयान बाज़ी का दौर शुरू हो गया है. जिसमें लिखा गया है कि कांग्रेस पार्टी और MVA ने किसी प्रत्याशी का एलान नहीं किया है इस अभी अंतिम निर्णय होना बाकी है. अब सवाल उठाना लाज़मी है कि NCP शरद चंद्र पवार MVA का अहम सहयोगी दल है उसने Official तरीके से प्रत्याशी का एलान किया है उसके बाद भी यह कहना कि MVA के प्रत्याशी का एलान नहीं हुआ इस तरह नकारना MVA को नुकसान पहुंचा सकता है. इस पूरे मामले पर प्रदेश नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है. जब कि स्थानीय कथित कांग्रेसियों ने सोशल मीडिया पर खूब हू हल्ला मचा रखा है. सोशल मीडिया पर ही सवाल उठने लगे है कि भिवंडी कांग्रेस का हाथ आखिर किसके साथ है? जब कि MVA घटक दल शिव सेना (UBT) समेत पार्टी लाइन से हटकर बयान बाज़ी करने वाले संजय निरुपम को कांग्रेस पार्टी ने 6 साल टाटा बाय बाय बोलते हुए दरवाजे बंद कर दिए है. उसके बाद भी कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व और कार्यकर्ता NCP ( SCP) के प्रत्याशी पर सवाल खड़े करने से बाज नहीं आ रहे हैं. इस मामले को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश को पूरे मामले पर अपनी भूमिका स्पस्ट करनी चाहिए नहीं तो अगर आने वाले दिनों में अगर विरोध का सिलसिला यही रहा तो वोटरों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है.
अब सवाल यह भी उठ रहे हैं स्थानीय कांग्रेसी जिस प्रत्याशी का समर्थन कर रहे हैं. वो आधिकारिक तौर से पार्टी में भी शामिल नहीं हुआ है. और दूसरे की फोटो ने सोशल मीडिया पर ऐसा गदर काटा है कि कांग्रेसी उस पर खामोश है? जब कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के 30 से ज्यादा नगरसेवकों और स्थानीय नेतृत्व के साथ होने के बाद भी सुरेश म्हात्रे उर्फ बाल्या मामा को टिकट नहीं मिला था जिसका असर तब के लोकसभा चुनाव पर पड़ा था.