– संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
हम सब यह अच्छी तरह जानते हैं कि पूरी दुनिया में नए साल का जश्न बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह एक ऐसा अवसर होता है जब हम अपने जीवन की सामान्य गतिविधियों को कुछ समय के लिए रोक कर अपना ध्यान उन कार्यों की ओर करते हैं जिनसे हमें लगता है कि हमें खुशी मिलेगी। यह ऐसा समय भी होता है जब हम बीते हुए साल को पीछे छोड़ते हैं और आने वाले नए साल का स्वागत बड़ी खुशी से करते हैं।
यदि हम अपने पिछले वर्ष पर एक नज़र डालकर देखें तो हम पाएंगे कि बीते वर्ष में ऐसे बहुत से समय हमारे जीवन में आए होंगे, जब हमने अपने ईश्वर की कृपा को अनुभव किया होगा। ठीक इसके विपरीत हमारे जीवन में कई बार ऐसे भी मौके आए होंगे, जब हम कठिनाईयों या दुःख-दर्द के समय से भी गुज़रे होंगे। ऐसे समय में हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हर गुलाब में कांटे भी होते हैं, वे भी अपनी भूमिका निभाते हैं और उनका भी अपना महत्त्व है। ठीक इसी तरह हमारे जीवन में सुख और दुःख दोनों आते हैं। यदि हम इन बातों पर विचार करेंगे तो हम देखेंगे कि हम हरेक परिस्थिति में शांत व सुखी रहेंगे।
नया साल सिर्फ बाहरी तौर पर खुशियाँ मनाने का समय नहीं है बल्कि यह हमें अपने जीवन में सुधार लाने का एक सुनहारा अवसर भी प्रदान करता है। हम देखते हैं कि नये साल पर बहुत से लोग बुरी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतों को ढालने का भी संकल्प लेते हैं। यह एक ऐसा मौका होता है जब वे स्वयं में सुधार लाने का प्रयत्न करते हैं। कई लोग धूम्रपान न करने का प्रण लेते हैं जबकि बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो मांसाहार को छोड़कर शाकाहारी जीवन जीने का संकल्प लेते हैं। कई ऐसे भी होते हैं जो क्रोध न करने, सभी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करने और दूसरों की मदद करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। बहुत से विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो दूसरे विद्यार्थियों की तुलना में अपनी पढ़ाई में बेहतर से बेहतर करने का संकल्प लेते हैं। अगर ध्यान से देखा जाए तो हर कोई अपने-अपने स्तर पर अपने जीवन में कुछ अच्छा करने का प्रयत्न करता है।
नये साल के इस मौके पर बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो यह प्रार्थना करते हैं कि नए साल में हम ज्यादा से ज्यादा आध्यात्मिक विकास करेंगे। यदि हम भी नये साल पर आध्यात्मिक रूप से प्रगति करना चाहते हैं तो इसके लिए हमें अपनी दिनचर्या को बड़ी ही गहराई से देखना होगा। ऐसे में हमारी यही कोशिश होनी चाहिए कि हम कोई भी ऐसा कार्य न करें जो हमको इस उद्देश्य से दूर करे। आध्यात्मिक रूप से तरक्की करने के लिए हमें ध्यान-अभ्यास को अपने जीवन में ढालना होगा। इसके लिए हमें वक्त के किसी पूर्ण संत से ध्यान-अभ्यास करने की विधि सीखनी होगी। जब हम अपनी दिनचर्या में ध्यान-अभ्यास को शामिल करते हैं तो हम अपने अंतर में प्रभु की ज्योति और श्रुति का अनुभव होता है। इसके अलावा हमें यह भी अनुभव हो जाता है कि प्रभु की जो ज्योति मुझे जान दे रही है, वही दूसरे लोगों में भी है। तो फिर हमें इस बात का पक्का विश्वास हो जाता है कि हम सब एक ही पिता-परमेश्वर की संतान हैं।
यह नये साल पर हमें यह भी समझना चाहिए कि हम जो भी प्रयास करें चाहे वह कितना भी कम क्यों न हो, हम जो भी कदम उठाएं चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, वो हमें हमारे लक्ष्य के करीब लाता है। नये साल पर हमारी यही कोशिश होनी चाहिए कि अतीत हमारा चाहे कैसा भी हो लेकिन हमारा भविष्य हमेशा बेदाग रहे। हम अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक बनाए रखें, इसके लिए आध्यात्मिक मार्ग ही हमें मददगार साबित हो सकता है।
तो आईये! हम भी नये साल पर आध्यात्मिक प्रगति करने का संकल्प लें क्योंकि हमारी आध्यात्मिक सेहत पर ही हमारी शारीरिक व मानसिक सेहत निर्भर करती है। यदि हम आध्यात्मिक रास्ते पर चलने का प्रण करते हैं तो हम देखेंगे कि इससे न सिर्फ हमारी आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक व मानसिक सेहत भी ठीक रहेगी। नए साल के इस अवसर पर हम अपनी गलतियों की ओर ध्यान न दें और एक आशावादी दिल के साथ एक नए साल की शुरूआत करें। आप सभी को जीवन में सफलता के लिए नए साल की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।